Posts

Showing posts from June, 2019

अजनबी राहें

किसी अलग ही दरिया में डूब जाना चाहती हूं,          कुछ नए से सुर गुनगुनाना चाहती हूं।।। कोई अलग सी बोली बोलूंगी मैं,         किसी नए से शहर के राज खोलूंगी मैं।।। कैसी लहरों में मै बहती जा रही हूँ,        कोई अलग सा रास्ता सजा रही हूँ।।।। जीवन के बाग में मैं भी फूल खिलाऊंगी,        अनकही दास्तां भी अपनी सुनाऊँगी।।। खुशी के अम्बर के नीचे सुंदर से खवाब सजाऊंगी,        अपनी महक से मैं दुनिया मेहकाउंगी।।। ना जाने ये वक़्त कहाँ ले चला है,       अगला पल अनजाना है यही तो वक़्त की कला है।।।                                                                - दृष्टि